नगर पालिका में कामठी जलाशय की लिखित स्वीकृति उपलब्ध नहीं
शहर में विगत कई वर्षों से पेयजल समस्या विक्राल है साथी जमीनीस्तर पर जलस्तर भूमिगत होते जा रहा है. शहरवासियों की वर्षों पुरानी कामठी जलाशय निर्माण कार्य के पीछे राजनीति गरमाई हुई है. शहर की पेयजल समस्या के निराकरण के लिए मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना के अंतर्गत पूर्व में हि स्वीकृत व प्रस्तावित कामठी जलाशय निर्माण कार्य को आरंभ करने के लिए नई सरकार द्वारा सर्वे पर सर्वे किए गए हैं, बावजूद इसके अभी तक कामठी जलाशय निर्माण कार्य की नगर पालिका पांढुरना में लिखित स्वीकृत उपलब्ध नहीं हो सकी है। गौरतलब है कि (प्रथम बार) जनवरी 2019 को भोपाल से उच्च अधिकारियों ने सर्वे किया था सर्वे करके प्रशासन को रिपोर्ट तैयार कराई गई थी। आपको बता दें कि 1 माह बाद फिर से (दूसरी बार) 1 मार्च को कामठी जलाशय पर गठित समिति द्वारा पांढुरना आकर सर्वे किया गया. जिसमें जबलपुर के उच्च अधिकारी गण शामिल थे. फिर छिंदवाड़ा स्तर के अधिकारियों ने (तीसरी बार) 9 मार्च 2019 को सर्वे किया और बताया कि 4 दिनों बाद फिर से (चौथी बार) एक उच्च अधिकारियों की समिति भोपाल से आएगी और अंतिम निर्णय देगी. और निर्णय आने से पहले ही रविवार 10 मार्च को लोकसभा आचार संहिता लग गई. अधिकारियों की रिपोर्ट में हीलाहवाली के कारण कामठी जलाशय र्निर्माण कार्य शुरू ही नहीं हो पाया. सरकार द्वारा गठित समिति द्वारा कामठी जलाशय निर्माण की दोबारा स्वीकृति प्रदान करने में लेटलतीफी की गई. आपको बता दें कि पिछले सरकार द्वारा यह कामठी जलाशय पूर्व में ही स्वीकृत व प्रस्तावित कर लगभग 20 करोड़ की राशि प्रदान की गई थी.
कामठी जलाशय के प्रति नई सरकार का उदासीन रवैया
बार बार सर्वे से जनता आक्रोषीत– कामठी जलाशय के प्रति नई सरकार द्वारा बार-बार किए गए सर्वे को देखते हुए शहर की जनता काफी आक्रोषीत है जिसका खमियाजा लोकसभा में भारी नुकसान भुगतना पड़ सकता है? मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्वयं के मुख से विधानसभा 2018 चुनाव के प्रचार के समय कहा था कि कामठी जलाशय के बारे में ” याद नहीं दिलानी पड़ेगी मुझे कामठी जलाशय शहर की लाइफ लाइन है ” इसीलिए तहसील शहरवासियों को नई सरकार से कामठी जलाशय शीघ्र निर्माण के प्रति बड़ी उम्मीदें थी और विधानसभा में नीलेश उईके को भारी मतों से विजय बनाया, लेकिन परिस्थितियां कुछ उलट ही निकली. कामठी जलाशय निर्माण पर हि सर्वे हेतु उच्चस्तरीय समिति गठित कर दी गई. जिससे निर्माण कार्य प्रारंभ होने से पूर्व ही विराम लग गया. आपको बता दें कि उक्त समिति के ऊपर जन चर्चा भी खूब जोरों पर है कि यह समिति का गठन ही निर्माण कार्य को विलंब करने के लिए किया गया होगा? कामठी जलाशय “अटका” हुआ देख शहरवासी स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे है. लोकसभा चुनाव समीप होने के कारण शहरवासी गुमराह की राजनीति के अलावा कुछ नहीं मान रहे हैं.
शहर में विगत कई वर्षों से पेयजल समस्या विक्राल है साथी जमीनीस्तर पर जलस्तर भूमिगत होते जा रहा है. शहरवासियों की वर्षों पुरानी कामठी जलाशय निर्माण कार्य के पीछे राजनीति गरमाई हुई है. शहर की पेयजल समस्या के निराकरण के लिए मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना के अंतर्गत पूर्व में हि स्वीकृत व प्रस्तावित कामठी जलाशय निर्माण कार्य को आरंभ करने के लिए नई सरकार द्वारा सर्वे पर सर्वे किए गए हैं, बावजूद इसके अभी तक कामठी जलाशय निर्माण कार्य की नगर पालिका पांढुरना में लिखित स्वीकृत उपलब्ध नहीं हो सकी है। गौरतलब है कि (प्रथम बार) जनवरी 2019 को भोपाल से उच्च अधिकारियों ने सर्वे किया था सर्वे करके प्रशासन को रिपोर्ट तैयार कराई गई थी। आपको बता दें कि 1 माह बाद फिर से (दूसरी बार) 1 मार्च को कामठी जलाशय पर गठित समिति द्वारा पांढुरना आकर सर्वे किया गया. जिसमें जबलपुर के उच्च अधिकारी गण शामिल थे. फिर छिंदवाड़ा स्तर के अधिकारियों ने (तीसरी बार) 9 मार्च 2019 को सर्वे किया और बताया कि 4 दिनों बाद फिर से (चौथी बार) एक उच्च अधिकारियों की समिति भोपाल से आएगी और अंतिम निर्णय देगी. और निर्णय आने से पहले ही रविवार 10 मार्च को लोकसभा आचार संहिता लग गई. अधिकारियों की रिपोर्ट में हीलाहवाली के कारण कामठी जलाशय र्निर्माण कार्य शुरू ही नहीं हो पाया. सरकार द्वारा गठित समिति द्वारा कामठी जलाशय निर्माण की दोबारा स्वीकृति प्रदान करने में लेटलतीफी की गई. आपको बता दें कि पिछले सरकार द्वारा यह कामठी जलाशय पूर्व में ही स्वीकृत व प्रस्तावित कर लगभग 20 करोड़ की राशि प्रदान की गई थी.
कामठी जलाशय के प्रति नई सरकार का उदासीन रवैया
बार बार सर्वे से जनता आक्रोषीत– कामठी जलाशय के प्रति नई सरकार द्वारा बार-बार किए गए सर्वे को देखते हुए शहर की जनता काफी आक्रोषीत है जिसका खमियाजा लोकसभा में भारी नुकसान भुगतना पड़ सकता है? मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्वयं के मुख से विधानसभा 2018 चुनाव के प्रचार के समय कहा था कि कामठी जलाशय के बारे में ” याद नहीं दिलानी पड़ेगी मुझे कामठी जलाशय शहर की लाइफ लाइन है ” इसीलिए तहसील शहरवासियों को नई सरकार से कामठी जलाशय शीघ्र निर्माण के प्रति बड़ी उम्मीदें थी और विधानसभा में नीलेश उईके को भारी मतों से विजय बनाया, लेकिन परिस्थितियां कुछ उलट ही निकली. कामठी जलाशय निर्माण पर हि सर्वे हेतु उच्चस्तरीय समिति गठित कर दी गई. जिससे निर्माण कार्य प्रारंभ होने से पूर्व ही विराम लग गया. आपको बता दें कि उक्त समिति के ऊपर जन चर्चा भी खूब जोरों पर है कि यह समिति का गठन ही निर्माण कार्य को विलंब करने के लिए किया गया होगा? कामठी जलाशय “अटका” हुआ देख शहरवासी स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे है. लोकसभा चुनाव समीप होने के कारण शहरवासी गुमराह की राजनीति के अलावा कुछ नहीं मान रहे हैं.
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