चंद्रपूर(चांदागड)के गोंड शासक खांडक्या बल्लाळशाह आत्राम की यह प्राचीन समाधी बरसों से जीर्ण अवस्था में मदद की गुहार
चंद्रपूर शब्द पावर (चांदागड)के गोंड शासक खांडक्या बल्लाळशाह आत्राम की यह प्राचीन समाधी /पेनठाना बरसों से जीर्ण अवस्था में मदद की गुहार लगा रही हैं|जिस बल्लाळशाह महाराज ने चांदागड नगरी बसाया और जिसके नाम से बल्लारशाह का नाम बल्लाळशाह पडा,जिसके राज्य में धन धान्य की कोई कमी नहीं थी..धन धान्य से सभी प्रजा सुखी था,जिस राजा की वीरता और प्रजा की संपन्न स्थिती को देखकर अन्य राजाओं को इर्षा एवंम् जलन होती थी..वह राजा कोई ओर नहीं बल्की हमारे गोंडवाना साम्राज्य के महान सपूत महाप्रतापी खांडक्या बल्लाळशाह आत्राम गोंड राजा था |
बल्लारशाह की प्राचीनतम किला 14 वी शताब्दी में बल्लाळशाह आत्राम राजा ने निर्माण किया|चंद्रपूर(चांदागड)की स्थापना 1450 में उसीने किया|उस वक्त गडमंडला में गोंड शासक संग्रामशाह मडावी का शासन था |अन्य समाज द्वारा गोंडवाना के स्थल या पेनकडा या गोंडवाना के वीरों का विभेदीकरण और दुर्भावना हमारे समाज में जहर की तरह फैदा दी गयी ,इसलिये आज तक कोयतूर गोंडों को खुदका इतिहास से अनभिध्य्न रहना पडा |हमारे सभी स्थलों को असामाजिक तत्त्वों द्वारा तोडा जा रहा हैं,जिसे हमे बचाना होगा|
बल्लारशाह की प्राचीनतम किला 14 वी शताब्दी में बल्लाळशाह आत्राम राजा ने निर्माण किया|चंद्रपूर(चांदागड)की स्थापना 1450 में उसीने किया|उस वक्त गडमंडला में गोंड शासक संग्रामशाह मडावी का शासन था |अन्य समाज द्वारा गोंडवाना के स्थल या पेनकडा या गोंडवाना के वीरों का विभेदीकरण और दुर्भावना हमारे समाज में जहर की तरह फैदा दी गयी ,इसलिये आज तक कोयतूर गोंडों को खुदका इतिहास से अनभिध्य्न रहना पडा |हमारे सभी स्थलों को असामाजिक तत्त्वों द्वारा तोडा जा रहा हैं,जिसे हमे बचाना होगा|
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